STC में बिताये हुए चार महीने मेरी ज़िन्दगी के सबसे यादगार दिन रहेंगे।वाह सत्यम , चार महीनो में जन्नत दिखा दी। जब तक वहां थे इतना एन्जॉय था की भूल गए नरक जैसा भी कुछ होता है भूल गए असली दुनिया कैसी है। उन दिनों को भुलाना मुश्किल ही नही नामुनकिन है। मुझे STC से प्यार हो गया।
वो पहला दिन जब हैदराबाद में पांव रखा फ़िर STC और बाकि की दुनिया को भुला दिया। वो जेरोन जॉन का डराना। वो डोरम्स में पहला दिन। फ़िर बाकी दुनिया जैसे हो ही नही। कभी नही भूल सकता मैं उन दिनों को। वो सुबह ८:४५ पे उठाना और ९:०० से पहले लैब पहुंचना। वो राधिका मैडम का डरते हुए डराना। वो नागराजू का डर । वो clean shaved रहना। वो मंगलवार को टाई पहनना । वो लेट हो जाने पे भाग के क्लास जाना । वो साइन करके breakfast के लिए वापिस आना। वो क्लास में सोना। वो अशोक शर्मा का पड़ना। वो प्रसाद के फट्टे। वो निवारती का confused confidence। वो टीना का टाइम पास करना। वो शेशु बाबु को बुरा भला कहना। वो कमांडर की डांट। वो लिंगे का कमांडर की पुंगी बजाना ।वो शाम के सेमीनार। वो गुल्टी हरी कृष्णा। वो लंच के लिए cafeteria आना। वो कैफेटेरिया में खाने को बुरा भला कहना। वो कैफेटेरिया के बाहर गुल्टन को एक नज़र देखने के लिए इंतज़ार करना। वो खाने के बाद क्लास में सोना । वो क्लास में गाने सुनना । वो बर्थडे सेलेब्रेट करना। वो शाम को धीरे वापिस आना फ़िर सुट्टा मरना। वो शाम का खाना । वो फ़िर खाने को गाली निकालना और खा लेना। वो फ़िर से गुल्टन को एक नज़र देखने के लिए इंतज़ार करना। वो गुप्ता को घंटो घंटो साथ में खडे रखना और गुल्टन का इंतज़ार करना। वो डोर्मस में दारु पीना। फ़िर दारु पिके किसी अजनबी के जन्मदिन पे GPL मारना । वो सोडा का लड़कियों पे लाइन मरना। वो डिम्पी का मुसाफिर ढाबे पे तंदूरी चिक्केन खाने जाना। वो नायर का दारू पिने का अंदाज़। वो अन्ज़ल का खामोश एन्जॉय । वो सोडा और अन्ज़ल का स्पेशल सुट्टा। वो निशित का हर समय एन्जॉय करना। वो दारू पि के नाचना। वो गुप्ताजी का दारू पीते हुए ये शेयर बोलना-"नशा शराब में होता तो झूमती बोतेलें नाचते पायलों में होती हलचल..... " वो शाम को कैफेटेरिया में दूध पिने जाना । वो शाम को घुमने निकलना। वो सड़क के किनारे पेड़ के पत्तों को छूना। वो सबको फौजी बनने के लिए कहना। वो तरुण का कम्बल में छुप के प्रेमिका से बातें करना। वो विनोद के घटिया से घटिया फटटो से लेकर वधिया से वधिया फटटो तक एक जैसा बिशवास दिखाना। वो लिंगे का अपने अंदाज़ में यह कहना " चल सुट्टा मारने चलते हैं "।वो शाम को दारू लेने जाना दारू न मिलने पे virtual drinking करना। वो थोराट की किस्मत। चन् केशव की नयी नौकरी । वो जिम की मेहनत और आखिरी प्रोजेक्ट(x-mart) । वो बावा का अपना अंदाज़, श्रीखर और डिम्पी की कोडींग, किशोरी की टेक्नोलॉजी, अंजी और बंडी की दबी सी मस्ती, पलाश बाबु और अनिरबन की स्चूली मस्ती, अनिबन की शराबियों पे हैरानी। वो रेखा का घर जाना और बारिश के कारण बिच रस्ते से वापिस आना ।वो मनीष जैन के फट्टे। वो OLA से पहले कुछ न पड़ना फ़िर LOC और राधिका का डराना। वो किंकर का OLA के बाद रोना । वो सुनील का बबली को चिडाना। वो माधुरी का बचपन । वो परीक्षा के कारण समृधि का रोना और नायर का दुलार। वो निधि का क्लास से भाग जाना और दोस्तों का उसे ढृँढने जाना । वो STC की इमारतें ।वो STC का Zoo ,वो club ,वो तरनतारन में तैरने जाना । वो STC का प्रमुख द्वार । वो STC की बसें । वो बस में 70 रुपये लगना । वो माय्फैर तक बस में जाना । वो हैदराबाद हाउस । वो राघवेंद्रा का दीपेन्द्र गुप्ता के साथ चक्कर । वो श्रीदेवी का मेहन्दिपतनम से हर रोज़ आना। वो STC की दिवाली । दीवली पे राजुल अस्थाना के साथ rock climbing पे जाना। वो outbond की मस्ती। वो सांस्कृत संध्या (cultural evening) में हमारी नाटी, और उस शाम की मस्ती। वो दांडिया वाली शाम।
चाहे मेरी मेमोरी कितनी भी कमज़ोर हो, इन् सब नही भूल सकता मैं जीवन भर वो STC में आखिरी दिन । vo कमांडर की डांट के बाद विदाई समारोह (validitory)। और बभी वहुत बातें है। पर ब्लॉग वहुत लंबा हो जायेगा। वो दिन हमेशा याद आएंगे........
3 comments:
Teri Yaad daashta to bahut tej hai.
But I think Tuje Gultan Ki Yaad Ne STC ko yaad kara diya
Kya baat hai.....woh gultan se black book mangane jaana aur chup chap khade rehna.....gultan se phone pe baat karke darr lagna ke woh nair samajh ke toh baat nahin kar rahi.....woh daru peeke kehna nasha sharab main hota toh nachte pyale aur jhoomti sharab main hoti halchal......woh bus main sona,kahin aur hi pahunch jana,phir driver ke saath akele vapas aana..woh logon ko aisa bhangara sikhana ki sikhate sikhate khud nati sikh jana ...aur bahut kuch.
waah waah bahut achha hai STC ki yaadein...
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